ये सांसद ना जाने क्यूँ लड़ते झगड़ते हैं]
संसद चलने से पहले ही स्थगित कर देते हैं।
एक दूसरे की बुराई खोद खोद कर निकलते हैं]
खुद कीचड़ मे बैठ औरों पर कीचड़ उछालते हैं।
चूहे बिल्ली का खेल जनता को दिखाते हैं]
हो हल्ला मचाकर कुर्सी टेबल उछालते हैं।
जनता की छोड़ बस अपनी सोचते हैं]
इस चक्कर में एक दूसरे के ही बाल नोचते हैं।
ये सांसद ना जाने क्यूँ लड़ते झगड़ते हैं]
संसद चलने से पहले ही स्थगित कर देते हैं।
भारत माँ की गोद में बैठ बंदर नाच दिखाते हैं]
सच और झूठ की लड़ाई छोड़s] जनता को आपस में लड़ाते हैं।
सारी बुराई तुम में हैंs] तुम क्या देश चलाओगेs]
तुम्हारी जेबें भर जाएंगीs] तब तो हमारी भर पाओगे
ये जनता का पैसा हैs] इसे न यूँ गवाओं तुमs]
संसद चलने से पहले स्थगित न करते जाओ तुम।
अपनी बात रखकरs] औरों की भी सुनना हैs]
सही राह चुनकरs] एक सफल भारत की सोच बुनना है।
लोगों की प्रेरणास्त्रोत बनकरs] अच्छा नाम कमाना हैs]
वीआईपी नहीं आम बनकरs] पूरे देश को सिखाना है।
माफ़ करना मुझे जितनी समझ थीs] मैंने सन्देश पहुँचाया हैs]
भारत का एक नागरिक होने का मैंने फ़र्ज़ निभाया है।
- श्रीमती निर्मला अग्रवाल
- श्रीमती निर्मला अग्रवाल